जुगियाल 13 जून (कमल कृष्ण हैप्पी)
: 600 मेगावाट बहुउद्देशीय रणजीत सागर बांध परियोजना की निर्माण अधीन दूसरी 268 मेगावाट शाहपुरकंडी बैराज परियोजना के बन रहे पावर हाउस में उस समय हड़कंप मच गया जब यूबीडीसी नहर का ओवरफ्लो पानी अचानक पावर हाउस में घुस गया। जिस में कार्यरत कर्मचारियों को आनन-फानन में बाहर निकाला गया, वहीं पावर हाउस के निर्माण कार्य में लगी करोड़ों की कीमती मशीनरी और अन्य उपकरण पूरी तरह पानी में डूब गए। अनुमान है कि इससे निर्माण कार्य में लगी कंपनी को ₹4 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है, साथ ही पावर हाउस का निर्माण भी 5-6 महीने देरी से होने की संभावना है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते दिन देर रात निजी कंपनी ओमनी जेबी द्वारा करवाए जा रहे शाहपुरकंडी बैराज परियोजना के पावर हाउस और नहर के निर्माण कार्य में उस समय हड़कंप मचा जब यूबीडीसी नहर के गेट बंद होने के कारण सारा ओवरफ्लो पानी ओमनी जेबी कंपनी द्वारा निर्माणाधीन नहर से होते हुए सीधे पावर हाउस में भर गया। पानी इतनी तेजी से बढ़ा कि तीन-चार मिनट में ही निर्माणाधीन नहर और पावर हाउस लबालब हो गए। इसके परिणामस्वरूप कंपनी द्वारा पावर हाउस के निर्माण में लगाई गई बड़ी-बड़ी मशीनरी और अन्य उपकरण पानी में पूरी तरह डूब गए।इस घटना से कंपनी को 4 करोड़ रुपए से ऊपर के नुकसान का अनुमान है। साथ ही, पावर हाउस के निर्माण कार्य को तय सीमा पर पूरा करने पर भी सवालिया निशान लग गया है। सरकार ने इस परियोजना को 31 दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
कंपनी और विभाग के बीच आरोप-प्रत्यारोप
ओमनी जेबी कंपनी के महाप्रबंधक सुनील श्रीवास्तव ने बताया कि यह घटना यूबीडीसी प्रशासन और शाहपुरकंडी बैराज के बीच समन्वय की कमी (नॉन-कोऑर्डिनेशन) का नतीजा है। उन्होंने कहा कि रणजीत सागर बांध परियोजना से माधोपुर को लगभग 8,000 क्यूसिक पानी छोड़ा जा रहा है, और माधोपुर से भी यूबीडीसी के लिए उतना ही पानी छोड़ा जाता है। रात के समय पानी की खपत आधी रह जाती है, लेकिन ऊपर से पानी की आमद घटाई नहीं जाती और माधोपुर में लगे गेट बंद कर दिए जाते हैं, जिसके चलते पानी का ओवरफ्लो होता है। श्रीवास्तव के अनुसार, इसी वजह से पानी कंपनी द्वारा निर्माणाधीन नहर से होता हुआ पावर हाउस में लगभग 13 मीटर से ज़्यादा भर गया। उन्होंने बताया कि पानी में डूबी मशीनरी में मुख्य रूप से पावर हाउस में लगी क्रेन, 60 हॉर्स पावर के डि-वॉटरिंग पंप, वाइब्रेटर, चीपिंग हैमर, कई मोड़ी पंप, तीन टन के चेन ब्लॉक, एजी7 ग्राइंडिंग मशीन, चाप शो मशीन, वेल्डिंग मशीन सहित विभिन्न प्रकार की मशीनरी और अन्य सामान शामिल हैं।
दूसरी ओर, जब इस संबंध में शाहपुरकंडी बैराज परियोजना के चीफ इंजीनियर सरदार शेर सिंह से बात की गई, तो उन्होंने इस घटना के लिए पूरी तरह से काम करवाने वाली कंपनी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि बैराज प्रशासन ने कंपनी को मार्च 2025 में ही पत्र लिखकर आगाह किया था कि किसी भी समय पानी आ सकता है और इसके लिए उचित प्रबंध कर लिए जाएं। लेकिन, कंपनी ने इस चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते ही पावर हाउस में पानी घुसने की घटना हुई। चीफ इंजीनियर ने स्पष्ट किया कि विभाग की ओर से कंपनी को कोई क्लेम (दावा) नहीं दिया जाएगा, बल्कि काम में होने वाली देरी के लिए कंपनी से जुर्माना भी वसूला जाएगा।