* एक जैसी चीज़ों का सेवन करना जैसे कि सब्जियों को नजरअंदाज करके केवल दाल खाना।
* पानी कम पीना और दूसरे लिक्विड जैसे कि जूस और कोल्ड ड्रिंक ज्यादा लेना।
* एसिडक चीज़ों का ज्यादा सेवन करना या मीठा ज्यादा खाना।
शारीरिक गतिविधियां न करने से भी यूरिक एसिड बढता है।
एक्सपर्ट कहते हैं कि पहले की तुलना में अब लोगों के अंदर परिश्रम का भाव खत्म हो गया है। जिससे शरीर की गतिविधि कम हुई है और यह एक महत्वपूर्ण कारण है यूरिक एसिड के बढ़ने का। जब शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाता है तो गंभीर स्थिति में मरीजों को हार्ट अटैक, किडनी फेलियर और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है।
शुरूआती लक्षण और उपाय
जब यूरिक एसिड बढ़ना शुरू होता है तो जोड़ों के पास चुभन वाली दर्द होती है। लेकिन इसे ठीक किया जा सकता है। इसके लिए सुबह जल्दी उठ कर नंगे पैर घास पर चलें। साथ ही, शरीर पर तिल या अन्य किसी तेल से मसाज करें।
परमानेंट उपाय
आयुर्वेद में शरीर से पूरी तरह यूरिक एसिड बाहर निकलने के लिए 40 से 45 दिन का समय लगता है।
* रोजाना सुबह-शाम एक्सरसाइज करें और ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं जिससे आपके शरीर से यूरिक एसिड बाहर निकल जाए।
* सुबह-शाम मुलेठी को चबाएं या फिर उसे गर्म पानी में उबाल कर पिएं।
* प्रोटीन का सेवन कम करें। दाल और खट्टी चीज़े न खाएं।
* हल्के रंग वाली फल और सब्जी का सेवन ज्यादा करें।
* गिलोय का 2-3 चम्मच रस, तुलसी का एक चम्मच रस या 5 से 7 पत्ते और 4 से 5 चम्मच एलोवेरा का रस मिलकर रोजाना सुबह-शाम पीने से यूरिक एसिड की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाती है। अगर आप चाहे तो इस घोल में एक चम्मच लौकी या करेले का रस मिला सकते हैं। सौजन्य से डॉ अर्चिता महाजन ट्रेंड योगा टीचर डाइटिशियन और न्यूट्रिशन और चाइल्ड केयर
यूरिक एसिड का हाई स्तर जोड़ों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। खून में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने से यह क्रिस्टल्स के रूप में टूटकर हड्डियों के बीच इक्ट्ठा होने लगता है, जिसके कारण गाउट और अर्थराइटिस जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में जोड़ों के दर्द, सूजन और लालिमा की समस्या से छुटकारा पाने के लिए यूरिक एसिड को काबू में रखना बेहद ही जरूरी है। बता दें कि हाई यूरिक एसिड की स्थिति को मेडिकल टर्म में हाइपरयूरिसीमिया कहा जाता है।
यूरिक एसिड एक तरह का केमिकल है, जो प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थों जैसे फिश, शराब, सीफूड और मीट आदि के पचने से निकलता है। वैसे तो अधिकतर यूरिक एसिड किडनी द्वारा फिल्टर होने के बाद शरीर से बाहर हो जाता है लेकिन जब बॉडी में इसकी मात्रा बढ़ने लगती है तो यह हड्डियों के बीच इक्ट्ठा हो जाता है।
गुगुल: गुगुल का इस्तेमाल कई तरह की आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में इसे दर्द निवारक माना जाता है क्योंकि यह जोड़ों के आसपास दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है। साथ ही यह यूरिक एसिड को नियंत्रित करने में भी कारगर है।
गुडूची: यूरिक एसिड की समस्या में यह मुख्य औषधि है। यह पित्त की मात्रा को कम करता है। गुडूची पित्त और वात दोष को संतुलित करने और रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा को कम करने में मदद करता है। यह जोड़ों के दर्द और सूजन से भी छुटकारा दिलाता है। साथ ही गुडूची से अमृतादि गुगुल बनाया जाता है, जो यूरिक एसिड के स्तर के लिए सबसे अच्छा काम करता है।
मुस्ता हर्ब: हाई यूरिक एसिड की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए यह एक प्रभावी जड़ी-बूटी है। ऐसे में यूरिक एसिड के मरीज मुस्ते के दरदरे पाउडर का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए मुस्ता को रात भर भीगोने के बाद पानी में उबाल लें। फिर इसे छानकर पी लें।मेरी बावा लाल दयाल जी से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि सभी को स्वस्थ और लंबा जीवन दे।
सौजन्य से डॉ अर्चिता महाजन ट्रेंड योगा टीचर डाइटिशियन और न्यूट्रिशन और चाइल्ड केयर होम्योपैथिक फार्मासिस्ट
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