बटाला (अविनाश शर्मा )
9 अक्तूबर : ऋषि चैतन्य आश्रम गनौर में गुरुपूर्व श्रद्धापूर्वक व धूमधाम से मनाया गया। सुबह सर्व प्रथम गुरु चैतन्य आश्रम में संगत ने प्रभात फेरी निकाली जिसमे श्री गुरु नानक देव जी का चित्र फूलों से सुसज्जित था और इसकी अगुवाई पांच प्यारे कर रहे थे इसके उपरान्त संगत ने अनादमूर्ति गुरु माँ की अगुवाई में शोभायात्रा निकाली जिमे शब्द व भजन कीर्तन कर झूम रहे थे जिन पर संगतों की ओर से पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया अंत म चाय मठ्ठी का प्रसाद लंगर के रूप में वितरित किया गया। वहीँ श्री गुरु नानक देव जी के 553 वें प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में गुरु माँ ने संगतों को संदेश देते हुए कहा कि गुरु जी का उपदेश यह था कि जिस व्यक्ति में रजोगुण , तपोगुण व सद्गुण नहीं है वह व्यक्ति निर्गुण नहीं हो सकता। इसलिए यह तीनों गुण हर व्यक्ति में होने चाहिए। गुरु माँ ने कहा कि अज्ञानी मन गुरु से दूर करवाता है अगर मन में ज्ञान होगा तो वह परमात्मा से मिलता है। उन्होंने कहा कि मन परमेश्वर को भूल कर माया के घर में जा कर बैठ गया है और माया से मन टिकता नहीं है और मन में विकार उतपन्न होता है। उन्होंने कहा कि जो मन भजन करता है वही मन भ्रमित होने के बजाए सद्गुरु के चरणों में टिकता है।